क्यों है 26 जनवरी इतनी अहम? क्या है गणतंत्र दिवस समारोह के पीछे का इतिहास?
26 जनवरी 1950 को देश में (भारत सरकार अधिनियम 1935) को ख़ारिज़ कर स्वयं निर्मित व निर्धारित संविधान को लागू कर भारत को एक गणतंत्र राष्ट्र घोषित किया गया था।
इस दिन भारत सरकार की तरफ से एक बड़ा आयोजन किया जाता है जिसमें इंडिया गेट के राजपथ पर एक परेड निकलती है जो लाल किले तक जाती है इस परेड में तीनों सेनाओं की टुकड़ियां रहती हैं तथा बाकि आजादी के बाद से अलग-अलग उद्देश्यों से शुरू की गई अन्य सेनाओं के भी जत्थे इसमें भाग लेते हैं।
इस परेड में हर साल एक चीफ़ गेस्ट को आमंत्रित किया जाता है
संविधान के निर्माण की शुरुआत हुई जिसे तमाम कड़ी मेहनत के बाद दो साल ग्यारह माह अट्ठारह दिनों में 2नवंबर 1949 को बनाकर तैयार कर लिया गया जिसे 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया
सभी राज्यों की झांकियों की प्रस्तुति भी इस परेड में शामिल होती हैं। देश के राष्ट्रपति इस परेड को सलामी देते हैं। देश भर से लोग इस परेड को देखने इंडिया गेट पहुंचते हैं
इस पूरे कार्यक्रम का प्रसारण टेलीविजन और रेडियो पर होता है।
भारत के संविधान को बनाने के लिए संविधान सभा का गठन किया गया था
संविधान सभा में सभी प्रांतों के
कुल 284 सदस्यों को निर्वाचित किया गया था
अध्यक्ष के रूप में डाॅ राजेंद्र प्रसाद जो (देश के प्रथम राष्ट्रपति) भी बने को चुना गया इसके बाद जवाहर लाल नेहरू,बल्लभ भाई पटेल,डाॅ भीमराव अम्बेडकर,व मौलाना अबुल कलाम आजाद सरीखे लोगों ने इसमें मुख्य भूमिका निभाई।
विधान सभा की सबसे महत्वपूर्ण कमेटी ड्राफ्टिंग कमेटी थी जिसके अध्यक्ष डाॅ भीमराव अम्बेडकर बने।