अम्मा: ठीक है बेटा।
अम्मा को कुछ नहीं समझ आता कि मोहन क्या कर रहा है।
मोहन: आप परेशान मत हो अम्मा सब ठीक है मैं ये खाना इसलिए बनवा रहा हूँ कि जब हम रोटी वाली चुड़ैल को ये खाना खिलाएंगे तो उसको कितनी ख़ुशी होगी।
अम्मा: हाँ बेटा।
अब मोहन थाली लेकर जाता है और रोटी वाली चुड़ैल के घर के बाहर बैठ जाता है और कहता है कि….
मोहन: चुड़ैल अम्मा बाहर आओ मैं तुम्हारे लिए पकवान लाया हूँ। मैं तुमको अपने हाथ से पकवान खिलाऊंगा अम्मा।
इतने में चुड़ैल मोहन के सामने आती है और मोहन उसको खाना खिलाता है और सारा गाँव उसको देखता है और मोहन रोज चुड़ैल को पूछता है कि उसको खाने में क्या खाना है और रोज उसको अच्छे-अच्छे पकवान खिलाता है।
एक दिन….
मोहन: चुड़ैल अम्मा ये बताओ तुम यहाँ अकेली कैसे रह लेती हो तुमको बुरा नहीं लगता।
चुड़ैल अम्मा: लगता तो है लेकिन मेरे साथ कौन रहेगा बेटा?