Motivation : बच्चों को चीज़ो का मुल्य कैसे समझाएँ? | How to Explain The Value Of Things To Children?

Motivation : बच्चों को चीज़ो का मुल्य कैसे समझाएँ? | How to Explain The Value Of Things To Children?

बच्चों को चीज़ो का मुल्य कैसे समझाएँ? (How to Explain The Value Of Things To Children?)

उत्तर – जब वह किसी वस्तु इत्यादि की माँग करते हैं, तभी उसे तुरन्त न दें, या सरलता से न दें। ऐसा करके आपको बच्चों समाजिक परिस्थितियों से धीरे-धीरे शुरू से ही अवगत करा रहे हैं। लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि बच्चो को खाने की जरूरत है, और आप खाना नहीं दे रहे हैं, उन्हे दवाइयों की जरूरत है, उन्हें दवाइयाँ नहीं दे रहे हैं। इसका मतलब यह है कि जो वस्तु बाद में भी दी जा सकती है, या बिना दिए काम चल सकता है, वह आप बाद में दे, या बिना उस वस्तु के काम चल सकता है, तो न दें।

विषय को समझें (Understand the Topic)

आज के समय में बच्चों को हर चीज़ तुरंत देना उन्हें समझदारी से दूर कर सकता है। इस लेख में हम जानेंगे कि बच्चों को चीज़ों का सही मूल्य कैसे सिखाएँ ताकि वे जीवन की वास्तविकता और समाजिक परिस्थितियों को समझ सकें।

आज का हमारा विषय है – बच्चों को चीज़ों का मूल्य कैसे समझाएँ? ये एक बेहद जरूरी सवाल है, खासकर आज के समय में, जब हम बच्चों को इतनी आसानी से हर चीज़ उपलब्ध करा देते हैं कि वे उसके पीछे की मेहनत और उसकी असली कीमत को समझ ही नहीं पाते।

शुरुआत

दोस्तों, जब बच्चे हमसे किसी चीज़ की मांग करते हैं – जैसे कोई खिलौना, नया गैजेट, या कुछ महंगा – हमारा पहला रिएक्शन अक्सर होता है उन्हें खुश करने का। हम उन्हें वह चीज़ तुरंत दे देते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ऐसा करके हम उन्हें क्या सिखा रहे हैं? एक उदाहरण:अमन के बेटे रोहन ने जब नए वीडियो गेम की मांग की, तो अमन ने बिना सोचे-समझे उसे खरीद दिया। रोहन खुश हो गया, लेकिन थोड़े दिनों बाद फिर से कुछ नया मांगने लगा। इस बार अमन ने उसे देने से पहले थोड़ा इंतजार कराया और उसे समझाया कि चीजों का मूल्य सिर्फ पैसों में नहीं, बल्कि उसकी जरूरत और मेहनत से भी है।

बच्चों को मूल्य समझाना क्यों जरूरी है?

जब हम बच्चों को हर चीज़ आसानी से देते हैं, तो वे उसकी असली कीमत को समझ नहीं पाते। उन्हें यह महसूस नहीं होता कि किसी चीज़ को पाने के लिए मेहनत करनी पड़ती है। अगर हम बच्चों को शुरुआत से ही यह सिखाएँ कि चीजें इतनी आसान नहीं होतीं, तो वे जिंदगी में मेहनत, धैर्य और जिम्मेदारी को समझना शुरू कर देंगे। सोचिए अगर एक बच्चा किसी खिलौने की मांग करता है, और आप उसे तुरंत दे देते हैं, तो वह खिलौने की अहमियत शायद एकदो दिन में ही भूल जाएगा। लेकिन अगर आप उसे थोड़ी देर तक इंतजार कराते हैं, तो वह उस खिलौने की कद्र करेगा और शायद उसका बेहतर ख्याल भी रखेगा।

पहला कदम: तुरंत न दें, सोचने का समय दें

जब भी आपका बच्चा किसी चीज़ की मांग करे, उसे तुरंत वह चीज़ न दें। उसे थोड़ा इंतजार कराएँ। इस बीच, आप उसे यह सोचने का मौका दें कि क्या यह चीज़ वाकई जरूरी है, या बस उसकी एक अस्थायी इच्छा है। ऐसा करके आप बच्चे को धैर्य सिखाते हैं। धैर्य जीवन में बहुत जरूरी गुण है, जो उन्हें भविष्य में हर प्रकार की परिस्थिति का सामना करने में मदद करेगा।

दूसरा कदम: मेहनत से चीज़ हासिल करने का तरीका बताएं

बच्चों को यह समझाना जरूरी है कि चीज़ों को हासिल करने के लिए मेहनत करनी पड़ती है। एक और उदाहरण रीना ने अपनी बेटी को एक साइकिल खरीद कर देने से पहले उसे छोटे-छोटे काम करने की जिम्मेदारी दी। जैसे अपने खिलौने खुद से समेटना, स्कूल का काम समय पर पूरा करना, और परिवार की मदद करना। रीना ने अपनी बेटी को सिखाया कि हर काम का एक मूल्य होता है, और अगर वह मेहनत करेगी, तो उसे अपनी साइकिल भी मिलेगी।

इस तरह की गतिविधियों से बच्चे मेहनत का महत्व समझते हैं और अपनी चीजों की देखभाल करने के लिए जिम्मेदार बनते हैं।

तीसरा कदम: जरूरत और चाहत में फर्क सिखाएं

बच्चों को यह फर्क समझाना बहुत जरूरी है कि किसी चीज़ की जरूरत क्या होती है और सिर्फ चाहत क्या होती है। कई बार बच्चे किसी चीज़ को केवल इसलिए चाहते हैं क्योंकि उनके दोस्त के पास है, या उन्होंने टीवी पर देखा है। ऐसे में आपको उन्हें बताना होगा कि सभी चीजें जरूरी नहीं होतीं। उदाहरण के तौर पर अगर बच्चा एक महंगा गैजेट चाहता है, तो आप उसे समझा सकते हैं कि क्या यह सच में उसकी जरूरत है या यह सिर्फ एक चाहत है। यह सवाल खुद बच्चे को सोचने पर मजबूर करेगा और वह अपने निर्णयों पर बेहतर ढंग से विचार करेगा।

चौथा कदम: आर्थिक समझ विकसित करना

बच्चों को छोटी उम्र से ही पैसे और खर्च की समझ देना बहुत जरूरी है। उन्हें यह सिखाएं कि पैसे कमाना आसान नहीं होता, और पैसे का सही इस्तेमाल करना आना चाहिए। आप उन्हें पॉकेट मनी दे सकते हैं और उन्हें यह सिखा सकते हैं कि इसे कैसे संभालें, ताकि वे अनावश्यक चीजों पर खर्च न करें।

निष्कर्ष: बच्चों को जिम्मेदार और समझदार कैसे बनाएं?

दोस्तों, हमारे बच्चे हमारी सबसे बड़ी जिम्मेदारी हैं। उन्हें सही दिशा में ले जाना हमारा कर्तव्य है। जब हम उन्हें चीज़ों का मूल्य सिखाते हैं, तो हम उन्हें न केवल समाज की सच्चाईयों से परिचित कराते हैं, बल्कि जीवन के हर मोड़ पर जिम्मेदारी और समझदारी से काम लेने की ताकत भी देते हैं। याद रखें, बच्चों को हर चीज़ तुरंत दे देना उन्हें कमजोर बना सकता है, लेकिन थोड़ी मुश्किलें और थोड़ी सीख उन्हें मजबूत और जिम्मेदार इंसान बनाएंगी।

तो दोस्तों, अगली बार जब आपका बच्चा किसी चीज़ की मांग करे, तो उसे थोड़ा सोचने का मौका दें और चीजों का असली मूल्य सिखाएँ। धन्यवाद!

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