Motivation : बिना माँगे सलाह न दें, लोग आपको मूर्ख समझते हैं | Don’t Give Advice Without Being Asked, People Think You Are A Fool
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आज हम बात करेंगे एक बेहद सामान्य लेकिन महत्वपूर्ण विषय पर: “बिना माँगे सलाह मत दो, लोग आपको मूर्ख समझते हैं!”
1. सलाह देना – कब सही, कब गलत? (Giving advice – when is it Right, When is it Wrong?)
दोस्तों, हम सभी के पास सलाह देने का अनुभव होता है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि लोग आपकी सलाह को किस नज़र से देखते हैं? खासकर जब वो सलाह उन्होंने मांगी ही नहीं हो। अक्सर ऐसा होता है कि जब आप बिना माँगे किसी को सलाह देते हैं, तो लोग आपको गंभीरता से नहीं लेते।
उदाहरण – मान लीजिए, किसी दोस्त ने नई गाड़ी खरीदी है, और आप बिना उनकी राय या सवाल सुने तुरंत कह देते हैं, “तुम्हें ये गाड़ी नहीं लेनी चाहिए थी, वो वाली ज्यादा बेहतर थी।” इस पर आपका दोस्त क्या सोचेगा? उसे लगेगा कि आप उसकी पसंद की इज्जत नहीं करते और खुद को ज्यादा समझदार मानते हैं।
2. बिना माँगे सलाह देना क्यों है गलत? (Why is it Wrong to Give Unsolicited Advice?
असल में, सलाह तब ही कारगर होती है जब कोई उसे मांगे। बिना माँगे दी गई सलाह दो बातें बताती हैं-
एक, आप यह मानते हैं कि आप उस व्यक्ति से ज्यादा समझदार हैं।
और दूसरा, आप उनकी परिस्थिति को सही से समझे बिना ही उनकी समस्या सुलझाने की कोशिश कर रहे हैं।
लोगों को यह एहसास होता है और इस वजह से वे आपको “बेला” या मूर्ख समझने लगते हैं।
3. क्या करें जब आपको सलाह देने का मन हो? (What to do When You Feel Like Giving Advice?)
सबसे पहले तो यह समझें कि हर व्यक्ति की परिस्थितियाँ और अनुभव अलग होते हैं। हर कोई आपकी सलाह के अनुसार नहीं चल सकता, और ना ही ऐसा करने की जरूरत है। अगर आपको लगता है कि आपकी सलाह बहुत उपयोगी हो सकती है, तो उससे पहले उनसे पूछिए, “क्या आप मेरी राय लेना चाहेंगे?” अगर वे मना करें, तो अपनी सलाह को वहीं रोक दें।
उदाहरण – अगर आपका कोई सहकर्मी किसी प्रोजेक्ट में मुश्किल में है और आप मदद करना चाहते हैं, तो पहले पूछें, “क्या तुम मेरी मदद या सलाह चाहोगे?” अगर वो राज़ी हो, तो सलाह दें; वरना अपनी राय को अपने पास रखें।
4. लोग आपको क्यों मूर्ख समझते हैं? (Why do People Consider You a Fool?)
बिना माँगे दी गई सलाह अक्सर लोगों को यह सोचने पर मजबूर कर देती है कि आप खुद को बहुत ज़्यादा समझदार मानते हैं। इस वजह से वे आपको गंभीरता से नहीं लेते और आपकी राय की अहमियत भी कम हो जाती है। कई बार लोग आपको “अहंकारी” भी मान सकते हैं।
5. अपने व्यक्तित्व को बेहतर कैसे बनाएं? (How to improve your personality?)
अगर आप सच में दूसरों की मदद करना चाहते हैं, तो पहले उनकी जरूरतों और भावनाओं को समझने की कोशिश करें। हर बार सलाह देना ज़रूरी नहीं होता। कभी-कभी सिर्फ उनकी बात सुनना ही काफी होता है।
उदाहरण– आपका कोई दोस्त किसी रिलेशनशिप में परेशानी में है। उसके सामने तुरंत सलाह देने की बजाय, पहले उसकी बातें सुनें। हो सकता है, उसे सिर्फ किसी ऐसे की ज़रूरत हो जो उसकी भावनाओं को समझे, न कि कोई उसे समझाए कि क्या सही है और क्या गलत।
6. निष्कर्ष (Conclusion)
इन सब बातों पर अमल करें लेकिन अगर आपका कोई अपना कुछ कोई गलत कदम उठाने जा रहा है, और आपके रोकने से वह गलत करने से रूक जाएगा या वह किसी बड़ी मुसीबत से बच सकता है, तो आप एक बार उसे रोकने का प्रयास आवश्य करें।
दोस्तों साथ ही इस बात का ध्यान रखें कि आनवश्यक रूप से जब तक कोई आपसे सलाह न मांगे, आप खुद से किसी को सलाह न दें। इससे न केवल आप खुद एक समझदार और परिपक्व व्यक्ति के रूप में उभरेंगे, बल्कि लोग भी आपकी बातों को ज्यादा गंभीरता से लेंगे।
याद रखें, हर कोई अपना जीवन जी रहा है और उसे खुद ही समझने का अधिकार है कि क्या सही है और क्या गलत।धन्यवाद!
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